Uttarakhand CM gave instructions to conduct awareness campaign about H-1 N-1 influenza

देहरादून: मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने एच-1 एन-1 इन्फ्लुएंजा के बारे में जागरूकता अभियान चलाने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा कि मौसमी बीमारियों से बचाव व उपचार की तैयारियां पहले से ही कर ली जानी चाहिए। सर्दियों में फैलने वाले इस इन्फ्लुएंजा से बचाव की जानकारी अधिक से अधिक लोगां तक पहुंचाई जाए। विशेष रूप से स्कूलों में जाकर दैनिक प्रार्थना के समय बच्चों को इसके बारे में बताया जाए कि किन छोटी-छोटी बातों का ध्यान रखने से इससे बचा जा सकता है। मुख्यमंत्री सीएम आवास में एच-1 एन-1 इन्फ्लुएंजा से बचाव व उपचार की तैयारियों पर स्वास्थ्य विभाग की समीक्षा कर रहे थे। वीडियो कान्फ्रेंसिंग के माध्यम से सभी जिलाधिकारी व मुख्य स्वास्थ्य अधिकारी भी समीक्षा बैठक में उपस्थित थे।

मुख्यमंत्री ने कहा कि एच-1 एन-1 इन्फ्लुएंजा को लेकर आम लोगों में भय न हो, इसके लिए बीमारी और इससे बचाव के उपायों का व्यापक प्रचार-प्रसार किया जाए। उपचार के लिए आवश्यक दवाईयां भी पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध रहे।

बैठक में बताया गया कि एच-1 एन-1 इन्फ्लुएंजा एक सामान्य किस्म का इन्फ्लुएंजा है। इससे घबराने जैसी कोई बात नहीं होती है। इसके मरीजों का बहुत कम प्रतिशत होता है जिन्हें कि भर्ती कराए जाने की जरूरत पड़ती है। इसमें सामान्य सर्दी, जुखाम जैसे लक्षण ही होते हैं। घर पर ही इसका उपचार हो जाता है। बाजार में इसकी दवा पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध है। परंतु यह दवा केवल डाक्टर का पर्चा दिखाने पर ही दी जा सकती है। केवल डायबिटिज, दमा आदि के रोगियों व उम्रदराज लोगों को सावधानी बरतनी होती है। अधिक से अधिक तरल पदार्थ व पौष्टिक आहार लिया जाना चाहिएा। अगर किसी बच्चे में इसके लक्षण दिखें तो स्कूल नहीं भेजा जाना चाहिए।

इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने प्रदेश में जिला अस्पतालों, स्वास्थ्य केंद्रों की स्थिति की भी जानकारी ली। उन्होंने ऐसे चिकित्सकों का विवरण उपलब्ध कराने के निर्देश दिए जो कि लम्बे समय से अनुपस्थित चल रहे हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि टेली मेडिसिन व टेली रेडियो लॉजी पर विशेष ध्यान दिए जाने की आवश्यकता है। जहां तक सम्भव हो, स्वास्थ्य केंद्रो को टेली मेडिसिन के लिए जिला अस्पतालों से जोड़ा जाए। इसका आंकलन किया जाए कि प्रदेश में टेली मेडिसिन से लोगों को कितना लाभ मिल रहा है। इसमें और सुधार कैसे किया जा सकता है। जिला अस्पतालों में आईसीयू के काम में तेजी लाई जाए। इसके लिए आवश्यक स्टाफ की व्यवस्था भी सुनिश्चित कर ली जाए। हाई रिस्क प्रेगनेंसी के मामलों पर नजर रखी जाए। 90 प्रतिशत संस्थागत प्रसव के लक्ष्य को हासिल किया जाना है। रूद्रप्रयाग जिलाधिकारी द्वारा बताया गया कि हाई रिस्क प्रेगनेंसी पर लगातार नजर रखने के लिए उनके द्वारा ‘मां’ नाम से एप बनाया गया है। इसमें आशा कार्यकत्रि, गर्भवती महिला की जानकारी डालती है। इसका मैसेज डीएम, सीएमओ व संबंधित चिकित्साधिकारी के पास आ जाता है। इसका पूरा फोलोअप किया जाता है। संबंधित गर्भवती महिला को आवश्यक जानकारियां दी जाती हैं। प्रसव की प्रत्याशित तारीख से 10 दिन पूर्व फिर से जिलाधिकारी, मुख्य स्वास्थ्य अधिकारी के पास मैसेज आता है। इससे संबंधित का संस्थागत व सुरक्षित प्रसव सुनिश्चित हो पाता है। इसी प्रकार ‘‘प्रत्याशा’’ के नाम से एक 6 बेड का विशेष वार्ड बनाया गया है। यहां घर जैसा माहौल दिया जाता है। इससे लोगों को किराए पर कमरा नहीं लेना पड़ता है। मुख्यमंत्री ने कहा कि ऐसी पहल सभी जगह की जानी चाहिए। बैठक में सचिव नीतेश झा, अपर सचिव डा. पंकज पांडेय सहित स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी उपस्थित थे।