swami-sanand

ऋषिकेश: गंगा की अविरलता एवं निर्मलता को लेकर लगातार 112 दिनों तक अनशन पर बैठे स्वामी सानंद का गुरुवार दोपहर को निधन हो गया। स्वामी सानंद को 9 अक्टूबर को अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान ऋषिकेश में भर्ती कराया गया था। उन्‍होंने गुरुवार दोपहर एक बजे ऋषिकेश में अंतिम सांस ली। 87 वर्षीय स्वामी ज्ञानस्वरुप सानंद एक पर्यावरणविद होने के साथ साथ आइआइटी कानपुर के पूर्व प्रोफेसर भी रह चुके थे. उनका वास्तविक नाम प्रोफेसर जीडी आग्रवाल था। स्वामी ज्ञानस्वरुप सानंद महात्मागांधी चित्रकूट ग्रामोद्योग विश्वविद्यालय(म.प्र.) में मानद प्रोफेसर भी थे।

बता दें कि गंगा पर निर्माणाधीन जल-विद्युत परियोजनाओं को बंद करने, प्रस्तावित परियोजनाओं को निरस्त करने और कोई भी नई परियोजना स्वीकृत न करने समेत वर्ष 2012 में तैयार किए ड्राफ्ट पर गंगा एक्ट बनाने की मांग को लेकर स्वामी सानंद गत 22 जून 2018 से मातृसदन आश्रम में अनशन कर रहे थे। इस अवधि में वह सिर्फ जल,  नमक,  नींबू और शहद ले रहे थे। उन्होंने नौ अक्‍टूबर से जल का भी त्याग कर दिया था। जिसे देखते हुए बुधवार को उन्हें ऋषिकेश एम्स में भर्ती कराया गया था। एम्स के डाक्टरों ने भी उनकी जान बचाने का भरसक प्रयास किया।  इससे पूर्व भी उन्हें एक सप्ताह के लिए एम्स में भर्ती कराया जा चुका था। इससे पहले भी 2009 में भागीरथी नदी पर बांध के निर्माण को रुकवाने के लिए स्वामी सानंद ने अनशन किया था और उन्होंने इसमें सफलता भी पाई थी।

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने प्रो. जी.डी. अग्रवाल के निधन पर गहरा दुख व्यक्त किया है। अपने शोक सन्देश मे मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने कहा कि गंगा के विभिन्न मुद्दों के लिए अनशनरत प्रो.जी.डी.अग्रवाल के निधन से उन्हें गहरा दुख पहुंचा है। उनकी मुख्य मांग थी कि गंगा के लिए अलग से एक्ट बनाया जाए और राज्य में तमाम जलविद्युत परियोजनाओं को रद्द किया जाए। इस कार्य के अध्ययन और उस पर योजना बनाने में थोड़ा समय लगता है। हमारी सरकार और केंद्र सरकार लगातार उनसे संपर्क में थी, बातचीत होती थी। केंद्रीय पेयजल मंत्री सुश्री उमा भारती ने उनसे मुलाकात की थी। उसके बाद जल संसाधन मंत्री श्री नितिन गड़करी ने भी फोन पर प्रोफेसर साहब से बातचीत की थी।

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने कहा कि राज्य सरकार की तरफ से भी इस मुद्दे पर पूरी संवेदनशीलता दिखाई गई थी। सरकार के प्रतिनिधि लगातार उनके संपर्क में थे। हरिद्वार के सांसद रमेश पोखरियाल ‘‘निशंक‘‘ भी उनसे मुलाकात करने पहुंचे थे। हमारी कोशिश थी कि किसी तरह से उनकी जान बचायी जा सके। लेकिन तमाम कोशिशों के बाद भी उन्होंने अनशन तोड़ने से इनकार कर दिया। जैसे ही उन्होंने 9 अक्टूबर को जल का त्याग किया, उन्हें फौरन ऋषिकेश एम्स में भर्ती कराया गया था। एम्स के डाक्टरों ने भी उनकी जान बचाने का भरसक प्रयास किया।