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मुंडनेश्वर : पौड़ी गढ़वाल के विकासखंड कल्जीखाल के अन्तर्गत पौराणिक दो दिवसीय खैरालिंग मुंडनेश्वर महादेव मेला का आज 6 जून को शुरू हो गया। दो दिवसीय मेली का शुभारम्भ रौड गाँव के भगवती प्रसाद ग्वाडी तथा कुटकुंडाई के ठाकुर जी द्वारा गाजे बाजे के साथ मन्दिर में महादेव की ध्वजा चढ़ाकर हुआ।

मेले के पहले दिन आज सुबह से ही मंदिर में कौथिगेरों की भीड़ उमड़नी शुरू हो गई। हालाँकि कि मेले में ध्वजा लाते समय बारिश के साथ ओलावृष्टि भी हुई, परन्तु बावजूद इसके भक्तों का जोश कम नही हुआ और खैरालिंग महादेव के दर्शन के लिए आये भक्तों ने जयकारों के साथ पाराम्परिक बाध्य यंत्र ढोल दमाऊ के साथ भक्तिमय माहौल में ध्वजा को खैरालिंग मन्दिर तक पहुँचाया और विधिवत पूजा अर्चना के साथ ध्वजा स्थल पर चढ़ाया। कल 7 जून को मेले का आखिरी दिन है, और उम्मीद है कि कल मेले में अत्यधिक भीड़ रहेगी।khairaling-mela

मेले में इस वर्ष दुकानें भी व्यवस्थित ढंग से लगी हुई है। यहाँ आये दुकानदारों का कहना है कि समिति द्वारा पहली बार दुंकानो का पंजीकरण किया गया है जिससे दुकाने लगाने में भी दिक्कत नही हो रही है और यह सुविधाजनक भी है। मेले में गरीब क्रांति के संयोजक कपिल डोभाल ने डौंर-थाली के साथ जागर यात्रा निकालकर लोगो को चकबन्दी के लिए जागरूक किया। मेले में समिति के अध्यक्ष बलवंत सिंह नेगी, उपाध्यक्ष तुलसी, प्रचार मंत्री मनीष खुगशाल स्वतंत्र, कोषाध्यक्ष मंगतराम उनियाल, सुमन, सुरेन्द्र,महिपाल, दिनेश, गणेश खुगशाल गणी सहित पुलिस व राजस्व प्रशासन अपनी फोर्स के साथ तैनात रहे।

दो दिवसीय बड़कोट खैरालिंग महादेव मेला भी आज से शुरू

मनियारस्यू पट्टी के बड़कोट खैरालिंग महादेव में भी दो दिवसीय मेला आज 6 जून से शुरू हो गया। पहले दिन मेले में भारी बारिश के बावजूद ग्रामीणों ने समय से पूर्व मंदिर में पहुचंकर कर देवी का निशान ध्वज चढ़ाया। यहाँ भी मुंडनेश्वर खैरालिंग महादेव की पूजा सकनोली के ही पुजारी ही करते है। आज मेले के प्रथम दिन भारी बारिश के वावजूद बड़कोट, कठूड, कुंकली, बराली, उजेडग़ांव, असगढ़-पोखरी, कांसखेत के लोग भारी संख्या में मेले में पहुंचे। एक समय मुंडनेश्वर मेले तरह यह मेला भी यह मेला पशुबलि के लिए जाना था। यहां भी नर भैसों (बागी) एवं बकरों की बलि प्रथा थी। ज्ञात हो कि 2007 में तत्कालीन जिलाधिकारी दिलबाग सिंह ने बलि प्रथा को रोकने के लिए ठोस पहल की थी उन्होंने मुंडेश्वर और बड़कोट दोनों मेला क्षेत्रो के लिए पांच-पांच लाख रुपये मंदिर सौन्दर्यकरण के लिए घोषणा की थी साथ मंदिर को कांसखेत, बड़कोट, बगनिखाल को जोड़ने की बात कही थी जो कहीं सालो बाद गत वर्ष ही पूरी हुयी।khairaling-mela

दो वर्ष बड़कोट मेले में पशुबलि नही हुयी। लेकिन जब प्रसाशन की घोषणा के बाद भी मंदिर में विकास नही हुआ तो ग्रामीणों ने 2010 नर भैसें की बलि दी थी। उस दौरान भारी पुलिस बल मंदिर में तैनात थी। लेकिन प्रसाशन ने जोर जबरदस्ती नही की आखरी बार 2011 में भी मेले में मंदिर परिसर में पशुबलि के लिए लाए गए नर भैंसा एवं बकरा मंदिर प्रांगण में विधिवत पूजा के बाद प्रशासन को सौंप दिया था। तब से यहाँ भी पशुबलि बंद हो गयी। बड़कोट खैरलिंग महादेव मंदिर समिति बनी हुयी है जो मेला का आयोजन स्वयं करती है। आज भी मेला स्थल पर भारी संख्या में रेगुलर पुलिस एवं राजस्व पुलिस तैनात रही मन्दिर समिति के अध्यक्ष अर्जुन सिंह असवाल ने कहां की 2018 से कांसखेत -बड़कोट-बगनिखाल डांडा नागराजा मंदिर मार्ग सुंचारु रूप से आवाजाही हुयी तब से बड़कोट खैरलिंग मंदिर श्रद्धालुओं की संख्या बढ़ी है। इस अवसर पर कर्मबीर सिंह रावत, पूर्व प्रधान सोबन सिंह रावत, पूर्व प्रधान चन्दन सिंह असवाल, हरेन्द्र सिंह असवाल, विनोद असवाल, धीरेन्द्र असवाल, सजंय पटवाल, रामपाल आदि मौजूद रहे।

बड़कोट मेला से जगमोहन डांगी की रिपोर्ट