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देहरादून: हिंदी भवन में रमाकांत बेंजवाल व बीना बेंजवाल द्वारा निर्मित हिंदी-गढ़वाली-अंग्रेजी शब्दकोश का लोकार्पण करते हुए लोक गायक डॉ. नरेन्द्र सिंह नेगी ने कहा कि यह कोश लोक के सांस्कृतिक आलोक को शब्द शब्द समेटे हुए हैं। रमाकांत बेंजवाल एवं बीना बेंजवाल द्वारा विगत सात वर्षों से इस कोश पर कार्य किया जा रहा था। पाँच सौ पृष्ठों के इस कोश में हिन्दी के 10 हजा़र से अधिक शब्दों का गढ़वाली अर्थ फिर गढ़वाली शब्दों का रोमन रूप भी दिया गया है। ज्ञातव्य है कि इससे पूर्व भी वर्ष 2007 में अरविंद पुरोहित के साथ मिलकर इनके द्वारा गढ़वाली-हिन्दी-शब्दकोश का निर्माण किया गया था जिसका कि वर्ष 2013 मे पुनरमुद्रण हुआ है।

हिन्दी भवन मे आयोजित कायर्क्रम मे रमाकांत बेंजवाल ने कहा कि इस कोश को नईं पीढ़ी जो आज अपनी लोकभाषा ही नहीं बल्कि हिन्दी से भी विमुख हो रही है के लिए तैयार किया गया है। इस कोश में जो पाठक देवनागरी को कम जानता हो वह भी पढ़ एवं समझ सकता है। शब्दावली ही नहीं है।व्यावहारिक शब्दावली के साथ गढ़वाली सीखने वालों के लिए व्याकरण एवं वाक्यांश और ऐसे शब्द जिनका हिंदी मे कोई शब्दावली ही नहीं है वैसी गढ़वाली की विशिष्ट शब्द संपदा भी अलग से दी गई है।

कायक्रम  के विशिष्ट अतिथि अरविन्द पुरोहित ने कोश निमाण  विधि पर अपनी बात रखी। गिरीश  सुन्दरियाल ने कहा कि इस कोश में  गढ़वाली के  औच्चारणिक विभेद को कम से कम रखकर मानकीकरण की ओर बढ़ने का सफल प्रयास किया गया है। कार्यक्रम की अध्यक्षा पद्मश्री से सम्मानित जागर गायिका बसंती बिष्ट ने की। बीना बेंजवाल ने सभी आगंतुक का धन्यवाद ज्ञापित किया। संचालन गणेश खुगशाल गणी ने किया।कार्य करमें मे डा नंद किशोर हटवाल, मुकेश नौटियाल, सुमित्रा जुगराण,  मधुरवादिनी तिहारी,  नीता कुकरेती, बीना कण्डारी, सुरेन्द पुण्डीर,  देवेश जोशी आदि साहित्यकार उपस्थिति रहे।

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