तीलू

देहरादून: उत्तराखण्ड सरकार हर वर्ष समाज मे उल्लेखनीय कार्य करने वाली महिलाओं को “वीरांगना तीलू रौतेली पुरस्कार” से सम्मानित करती आ रही है। इसी क्रम मे शुक्रवार को देहरादून के प्रेमनगर मे आयोजित कार्यक्रम मे प्रदेश के मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने समाज में उत्कृष्ट कार्य करने वाली उत्तराखण्ड की 13 महिलाओं को प्रतिष्ठित वीरांगना तीलू रौतेली पुरस्कार से सम्मानित किया इसके अलावा 20 आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों को भी उत्कृष्ट कार्य के लिए राज्य स्तरीय “आंगनबाड़ी कार्यकारी पुरस्कार” से सम्मानित किया गया। जिसमें 21 हजार की धनराशि, प्रशस्ति पत्र और वीरांगना तीलू रौतेली की तस्वीर युक्त स्मृति पत्र भेंट किया गया।

तीलू रौतेली पुरस्कार से सम्मानित 13 महिलाओं मे गढ़वाली में कविताओं, गीतों और जागरों की रचना एवं गायन से पहाड़ की लोक संस्कृति को पहचान देने वाली गुप्तकाशी के ह्यूण गांव की उपासना सेमवाल को भी इस प्रतिष्ठत पुरस्कार से सम्मानित किया गया। उपासना सेमवाल महिला सशक्तिकरण एवं बाल विकास के लिए भी कार्य कर रही है और महिलाओं का प्रतिनिधित्व करके समाज को एक नई दिशा दे रही है। अपनी धारधार कविताओं, जागरों के माध्यम से बहुत कम समय में उपासना ने अपनी विशेष पहचान बनाई है।

इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने कहा कि महिलाओं को आर्थिक तौर पर सशक्त बनाकर ही समाज को आगे बढाया जा सकता है. समाज में सुधार के लिए दृढ़ संकल्प शक्ति व त्याग की भावना आवश्यक है। है। श्री रावत ने कहा कि उत्तराखण्ड  में पर्यावरण संरक्षण, समाज सुधार से लेकर राज्य निर्माण में मातृ शक्ति की महत्वपूर्ण भागीदारी रही है। तीलू रौतेली पुरस्कार समाज के लिए सर्वस्व त्याग करने वाली हमारी माताओं एवं बहनों को समर्पित है। तीलू रौतेली पुरस्कार से सम्मानित होने वाली सायरा बानो ने बहुत ही हिम्मत का परिचय देते हुए तीन तलाक के खिलाफ सर्वोच्च न्यायालय तक लड़ाई लड़ी है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि वीरांगना तीलू रौतेली का जन्म दिवस 8 अगस्त को होता है। इसलिए आगे से इस कार्यक्रम का अयोजन 8 अगस्त को किया जाएगा। उत्तराखण्ड सरकार जच्चा-बच्चा के लिए अलग से एक 500 बेड का अस्पताल बनाएगी। इसके लिए उपयुक्त स्थान पर भूमि का चयन किया जा रहा है। इस अवसर पर महिला एवं बाल विकास मंत्री रेखा आर्य ने कहा कि महिलाएं किसी भी क्षेत्र में पुरुषों से कम नहीं हैं। तीलू रौतेली पुरस्कार का उद्देश्य उन महिलाओं के काम को मान्यता देना है जिन्होंने समाज सुधार के लिए कठिन संघर्ष किया है। महिलाओं को और अधिक दृढ़ता से आगे बढ़ना है।