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chandi-ghildiyalदान-पुण्य का महापर्व मकर संक्रांति बुद्धवार, 15 जनवरी, 2020 को मनाया जाएगा। उत्तराखंड ज्योतिष रत्न आचार्य डॉक्टर चंडी प्रसाद घिल्डियाल के अनुसार सूर्य देव 14-15 जनवरी रात्री 02:07 मिनट पर उत्तरायण होंगे यानि सूर्य चाल बदलकर धनु से निकलकर मकर राशि में प्रवेश करेंगे। यही वजह है कि सूर्य के दक्षिणायन से उत्तरायण होने का पर्व संक्रांति का पुण्य काल 15 जनवरी को सर्वाथ सिद्धि व रवि कुमार योग का संयोग भी रहेगा। इस बार संक्रांति का वाहन गर्दभ (गधा) होगा संक्रांति का पुण्यकाल 15 जनवरी बुधवार के दिन भर दान-पुण्य और स्नान किया जा सकेगा मकर राशि में प्रवेश करते ही सूर्यदेव उत्तरायण हो जाएंगे। दिन भी बड़े होने लगेंगे। इसके साथ ही धनु मलमास भी समाप्त हो जाएगा और मांगलिक कार्य शुरू होंगे।

15 जनवरी को धनु से निकलकर मकर में प्रवेश करेंगे सूर्यदेव।
मेष :- धन लाभ
वृषभ :- मान यश
मिथुन :- विजय
कर्क:– खर्चा बढेगा
सिंह :- भाग्य उदय
कन्या :- प्रॉपर्टी लाभ
तुला :- धन लाभ
वृश्चिक :- विवाद
धनु :- प्रमोशन
मकर:- यश कीर्ति
कुंभ :- मान- सम्मान
मीन :- रोग पीड़ा

मकर संक्रांति के साथ ही मांगलिक कार्यों का शुभारंभ हो जाएगा। सूर्य के धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करने के साथ ही विवाह, नूतन गृह प्रवेश, नया वाहन, भवन क्रय-विक्रय, मुंडन जैसे शुभ कार्य शुरू हो होंगे। राजकीय इंटरमीडिएट कॉलेज आईडीपीएल में संस्कृत प्रवक्ता आचार्य डॉक्टर चंडी प्रसाद घिल्डियाल बताते हैं कि इस बार किस वाहन पर सवार आ रही हैं।
संक्रांति, क्या करें राशि के के हिसाब से दान,
मकर संक्रांति के दिन सूर्य धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करता है। सूर्य के एक राशि से दूसरी में प्रवेश करने को संक्रांति कहते हैं। दरअसल मकर संक्रांति में ‘मकर’ शब्द मकर राशि का ही प्रतीक है जबकि ‘संक्रांति’ का अर्थ संक्रमण करना है। सूर्य मकर राशि में प्रवेश करते हैं, इसलिए इस दिन को ‘मकर संक्रांति’ कहा जाता है। मकर संक्रांति’ पर्व को कहीं-कहीं उत्तरायण भी कहा जाता है। इस दिन गंगा स्नान कर व्रत, कथा, दान और भगवान सूर्यदेव की उपासना करने का विशेष महत्व है। शास्त्रों के अनुसार, दक्षिणायन को नकारात्मकता तथा उत्तरायण को सकारात्मकता का प्रतीक माना जाता है। इसीलिए इस दिन जप, तप, दान, स्नान, श्राद्ध, तर्पण आदि धार्मिक कर्मों का विशेष महत्व है। इस दिन शुद्ध घी एवं कंबल दान करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है।
साल 2020 में सूर्य 14 जनवरी की रात्रि को मकर राशि में प्रवेश कर रहा है। चूंकि संक्रांति का पुण्य स्नान सूर्योदय पर किया जाता है, इसलिए इस बार संक्रांति 15 जनवरी को मनाई जाएगी। 15, जनवरी को संक्रांति ‘गर्दभ’ ( गधा) पर सवार होकर आ रही है। संक्रांति का उपवाहन मेष (मेढा) है। संक्रांति गर्दभ पर सवार होकर सफेद वस्त्र धारण करके मिठाई का भक्षण करते हुए पूर्व से पश्चिम दिशा की ओर जाएगी।
14 जनवरी को रात्रि 02.07 बजे सूर्य देव धनु से मकर राशि में प्रवेश करेंगे। चूंकि सूर्य का राशि परिवर्तन सूर्यास्त के बाद होगा । इसके चलते पुण्यकाल 15 जनवरी को सुबह श्रेष्ठ रहेगा।

15 जनवरी को पुण्य काल

सुबह 7.19 से शाम 5.46 बजे तक
महापुण्य काल 7.19 से 9.03 बजे तक
मकर संक्रांति का फल छोटे व्यवसाय वालों के लिए फलदायी,
वस्तुओं की लागत सस्ती होगी
बारिश के अभाव में अकाल की संभावना
ज्यादातर लोग ठंड, खांसी से पीड़ित रहेंगे
महोदर नाम की संक्रांति में पूर्वा फाल्गुनी नक्षत्र बुधवार को पूर्वा फाल्गुनी नक्षत्र में संक्रांति मनाई जाएगी। इस योग में दान-पुण्य करने से कई गुना फल की प्राप्ति होती है।
माघे मासे महादेव: यो दास्यति घृतकंबलम।
स भुक्त्वा सकलान भोगान अंते मोक्षं प्राप्यति॥

बुधवार, 15 जनवरी, 2020
संक्रांति काल – 07:19 बजे (15 जनवरी 2020)
पुण्यकाल – 07:19 से 12:31 बजे तक
महापुण्य काल – 07:19 से 09:03 बजे तक
संक्रांति स्नान – प्रात: काल, 15 जनवरी 2020
राशि अनुसार क्या करें दान
1. मेष- जल में पीले पुष्प, हल्दी, तिल मिलाकर अर्घ्य दें। तिल-गुड़ का दान दें। उच्च पद की प्राप्ति होगी।
2. वृषभ- जल में सफेद चंदन, दुग्ध, श्वेत पुष्प, तिल डालकर सूर्य को अर्घ्य दें। बड़ी जवाबदारी मिलने तथा महत्वपूर्ण योजनाएं प्रारंभ होने के योग बनेगें।
3. मिथुन- जल में तिल, दूर्वा तथा पुष्प मिलाकर सूर्य को अर्घ्य दें। गाय को हरा चारा दें। मूंग की दाल की खिचड़ी दान दें। ऐश्वर्य की प्राप्ति होगी।
4. कर्क- जल में दुग्ध, चावल, तिल मिलाकर सूर्य को अर्घ्य दें। चावल-मिश्री-तिल का दान दें। कलह-संघर्ष, व्यवधानों पर विराम लगेगा।
5. सिंह- जल में कुमकुम तथा रक्त पुष्प, तिल डालकर सूर्य को अर्घ्य दें। तिल, गुड़, गेहूं, सोना दान दें। किसी बड़ी उपलब्धि की प्राप्ति होगी।
6. कन्या- जल में तिल, दूर्वा, पुष्प डालकर सूर्य को अर्घ्य दें। मूंग की दाल की खिचड़ी दान दें। गाय को चारा दें। शुभ समाचार मिलेगा।
7. तुला- सफेद चंदन, दुग्धू, चावल, तिल मिलाकर सूर्य को अर्घ्य दें। चावल का दान दें। व्यवसाय में बाहरी संबंधों से लाभ तथा शत्रु अनुकूल होंगे।
8. वृश्चिक- जल में कुमकुम, रक्तपुष्प तथा तिल मिलाकर सूर्य को अर्घ्य दें। गुड़ का दान दें। विदेशी कार्यों से लाभ तथा विदेश यात्रा होगी।
9. धनु- जल में हल्दी, केसर, पीले पुष्प तथा मिल मिलाकर सूर्य को अर्घ्य दें। चहुंओर विजय होगी।
10. मकर- जल में काले-नीले पुष्प, तिल मिलाकर सूर्य को अर्घ्य दें। गरीब-अपंगों को भोजन दान दें। अधिकार प्राप्ति होगी।
11. कुंभ- जल में नीले-काले पुष्प, काले उड़द, सरसों का तेल-तिल मिलाकर सूर्य को अर्घ्य दें। तेल-तिल का दान दें। विरोधी परास्त होंगे। भेंट मिलेगी।
12. मीन- हल्दी, केसर, पीत पुष्प, तिल मिलाकर सूर्य को अर्घ्य दें। सरसों, केसर का दान दें।