jammu-kashmir-laddakh

नई दिल्ली: आज से जम्मू-कश्मीर राज्य दो अलग-अलग केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित हो गया है। करीब 72 साल तक एक प्रदेश का हिस्सा रहे जम्मू-कश्मीर और लद्दाख रात 12 बजे के बाद से दो अलग-अलग केंद्र शासित प्रदेश बन गए। अब देश में 29 की जगह 28 राज्य होंगे जबकि केंद्र शासित प्रदेशों की संख्या 7 से बढ़कर 9 हो गई है। बता दें कि बीते 5 अगस्त को केंद्र सरकार ने जम्मू कश्मीर से धारा 370 और 35A हटाने का फैसला लेते हुए राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेश में बांटने की घोषणा की थी। इस फैसले को लागू करने के लिए सरकार ने देश के पहले गृहमंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल की जयंती यानी 31 अक्टूबर का दिन चुना था। उल्लखनीय है कि लोह पुरूष सरदार बल्लभ भाई पटेल ने देश के पहले गृहमंत्री रहते हुए आजादी के बाद 565 रियासतों को देश में मिलाने में अहम भूमिका निभाई थी। इसीलिए इस दिन को सरकार राष्ट्रीय एकता दिवस के तौर पर मना रही है।

केंद्र सरकार ने दोनों केंद्र शासित प्रदेशों में उपराज्यपाल नियुक्त कर दिए हैं। जम्मू-कश्मीर में गिरीश चंद्र मुर्मू और लद्दाख में आरके माथुर को उपराज्यपाल नियुक्त किया गया है। इसके साथ ही आज से जम्मू कश्मीर का विशेष दर्जा भी खत्म हो गया है। नए केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर में राज्य सरकार के संवैधानिक अधिकार और स्थिति लगभग दिल्ली या पुदुचेरी की तरह ही होंगे। यहाँ विधानसभा चुनाव भी होंगे और जनता द्वारा चुनी हुई सरकार भी होगी परन्तु सरकार के किसी भी प्रस्ताव को लागू करने के लिए उपराज्यपाल की मंजूरी जरूरी होगी। उपराज्यपाल मुख्यमंत्री की ओर से भेजे किसी भी प्रस्ताव को मंजूरी देने के लिए बाध्य नहीं होंगे। इसके उलट दूसरे केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख में कोई विधानसभा नहीं होगी। यहां तकरीबन चंडीगढ़ जैसी व्यवस्था लागू की गई है। यहां राष्ट्रपति के प्रतिनिधि के तौर पर उपराज्यपाल व्यवस्था संभालेंगे और संवैधानिक मुखिया होंगे। लोकसभा की एक सीट होगी, स्थानीय निकाय होंगे।