surygrahan

इस साल का तीसरा और आखिरी सूर्य ग्रहण 26 दिसंबर को होगा. जिसे भारत में भी देखा जा सकेगा. उत्तराखंड ज्योतिष रत्न आचार्य डॉक्टर चंडी प्रसाद घिल्डियाल के अनुसार इस बार सूर्य ग्रहण के दौरान सूर्य आग से भरी अंगूठी की तरह नजर आएगा. इसे वैज्ञानिकों की भाषा में वलयाकार सूर्य ग्रहण कहा जाता है.

राजकीय इंटरमीडिएट कॉलेज आईडीपीएल में संस्कृत के प्रवक्ता आचार्य डॉक्टर चंडी प्रसाद घिल्डियाल के अनुसार इससे पहले इस साल 6 जनवरी और 2 जुलाई को भी सूर्य ग्रहण हुए थे. उसके बाद यह तीसरा और साल का आखिरी सूर्य ग्रहण होगा. उन्होंने बताया कि सूर्यग्रहण के 12 घंटे पहले ही 25 दिसंबर को शाम 5:32 से सूतक लगेगा और ग्रहण खत्म होने पर समाप्त होगा सूतक काल को शुभ कार्य के लिए उचित नहीं माना जाता है. उन्होंने बताया कि आंशिक सूर्यग्रहण सुबह 8:04 से शुरू होगा, सुबह 9:24 पर चंद्रमा सूर्य के किनारे को ढकना शुरू कर देगा उसके बाद सुबह 9:26 तक पूर्ण सूर्यग्रहण दिखाई देगा. 11:05 पर सूर्य ग्रहण समाप्त हो जाएगा. कुल मिलाकर पूर्ण सूर्य ग्रहण की अवधि 3 घंटा 12 मिनट होगी.

पौराणिक मान्यता

मुख्यमंत्री द्वारा ज्योतिष वैज्ञानिक की उपाधि से सम्मानित आचार्य घिल्डियाल बताते हैं कि पौराणिक कथा के अनुसार समुद्र मंथन के दौरान जब देवों और दानवों के बीच अमृत पान के लिए विवाद हुआ था. जिसको सुलझाने के लिए मोहिनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु ने मोहिनी रूप धारण किया. जब भगवान ने देवताओं और असुरों को अलग-अलग बैठा दिया लेकिन राहु नाम का एक असुर छल से देवताओं की लाइन में आकर बैठ गया और उसने भी अमृत पान कर लिया. देवों की लाइन में बैठे हुए सूर्य और चंद्रमा ने राहु को ऐसा करते हुए देख लिया. इस बात की जानकारी उन्होंने भगवान विष्णु को दी. जिसके बाद भगवान विष्णु ने अपने सुदर्शन चक्र से राहु का सर धड़ से अलग कर दिया लेकिन राहू अमृत पान कर चुका था. इसलिए उसकी मृत्यु नहीं हुई और उसके सिर वाला भाग राहु तथा धड़ वाला भाग केतु के नाम से जाना गया. इसी कारण राहु और केतु सूर्य और चंद्रमा को अपना शत्रु मानते हैं जिस वजह से यह ग्रहण लगता है.

ज्योतिष में अंतरराष्ट्रीय हस्ताक्षर माने जाने वाले डॉक्टर घिल्डियाल का दावा है कि उन्होंने 16 जुलाई को हुए खग्रास चंद्रग्रहण पर देश के राजनेताओं के लिए भविष्यवाणी की थी अशोक के समाचार मिलेंगे और उसके बाद लगातार सुषमा स्वराज अरुण जेटली सहित कई बड़े नेताओं से देश को हाथ धोना पड़ा इस बार भी यह सूर्य ग्रहण धनु राशि पर लग रहा है तथा उस दिन शत ग्रह योग भी बन रहा है जो देश में आंतरिक युद्ध की असंतोष अशांति सीमा पर तनाव सहित सत्ता को उद्वेलित करने वाला योग है इसलिए शासकों को बहुत सावधानी बरतने की आवश्यकता है सेना के उच्च अधिकारियों को स्वास्थ्य पर ध्यान देना होगा सामाजिक संस्थाओं को चाहिए कि जगह-जगह राष्ट्र की रक्षा के लिए धर्म और यज्ञ का आयोजन करें डॉक्टर घिल्डियाल ने बताया कि अभी वह राशि अनुसार विस्तृत गणित कर शीघ्र रहस्योद्घाटन करेंगे कि किस राशि के लिए यह छठ ग्रह योग का ग्रहण शुभ रहेगा और किसके लिए अशुभ रहेगा तथा इसके उपाय भी बताएंगे.