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नई दिल्ली: पर्वतीय सांस्कृतिक संस्था द्वारा सोमवार (12 अगस्त) को नई दिल्ली के एलटीजी सभागार में उत्तराखंड की दिव्यांग प्रतिभाओं के उत्थान एवम् कल्याणार्थ “उड़ान हौसलों की..” नामक एक भव्य सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किया गया। राजधानी दिल्ली में पहली बार आयोजित अपनी तरह के एक अलग और विशेष सांस्कृतिक कार्यक्रम में उत्तराखंड की विलक्ष्ण प्रतिभाओं के धनी दिव्यांग कलाकारों ने अपने जूनून, लगन और हुनर से सभागार में उपस्थित दर्शकों को बता दिया कि अगर “हुनर है तो कदर है”।

आपको बतादें कि उत्तराखंड के दूरदराज गांवों में गुमनामी के अंधेरों में जी रहे विलक्ष्ण प्रतिभा के धनी इन दिव्यांग कलाकारों को यहाँ तक पहुँचाने के श्रेय जाता है मशहूर संगीत निर्देशक एवं पर्वतीय सांस्कृतिक संस्था के संस्थापक राजेंद्र चौहान को। जिन्होंने इन प्रतिभाओं की कला को पहचाना ही नहीं बल्कि इनकी कला को तराश कर इन्हें इतने बड़े मंच पर अपना हुनर दिखाने का अवसर प्रदान भी किया।

एलटीजी सभागार में आयोजित “उड़ान हौसलों की..” कार्यक्रम में समाजसेवी एवं दिल्ली हाईकोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता संजय शर्मा दरमोड़ा का भी विशेष सहयोग रहा। उनकी टीम “नई पहल नई सोच के सदस्यों ने इस कार्यक्रम को सफल बनाने में बड़ी मेहनत की।

दर्शकों से खचाखच भरे सभागार में आयोजित विलक्ष्ण प्रतिभाओं के इस सांस्कृतिक कार्यक्रम में प्रसिद्द समाजसेवी माता मंगला जी एवं श्रीभोलेजी महाराज मुख्य अथिति के रूप में उपस्थित रहे। बतादें कि इनमे से कई दिव्यांग प्रतिभाओं को माता मंगला जी एवं श्रीभोलेजी महाराज के आशीर्वाद से हंस फाउंडेशन एवं हंस कल्चर सेंटर द्वारा प्रतिमाह पेंशन के रूप में धनराशि दी जाती है।udaan

मंच संचालक नवीन पांडेय ने उत्तराखंड के दूरदराज गांवों से आई करीब 25 दिव्यांग प्रतिभाओं का परिचय कराते हुए बताया कि किस तरह दैवीय कष्ट मिलने के बावजूद भी आज ये लोग अपने हुनर और हैसलों के दम पर आपके सामने अपनी कला प्रस्तुत कर रहे हैं। पौड़ी, टिहरी, चमोली, अल्मोड़ा, बागेश्वर, बेरीनाग, पिथोरागढ़, बाजपुर, हल्द्वानी आदि क्षेत्रों से आए इन कलाकारों में कुटुलमंडी गाँव, गूमखाल, पौड़ी गढ़वाल के निर्मल कुमार, मुकेश कुमार और अंजलि कुमारी, तीनों भाई बहन जन्म से नेत्रहीन हैं। जो अभी तक सड़कों पर रोड़ी तोड़कर गरीबी और गुमनामी की जिंदगी जी रहे थे। आज इनमे से एक भाई मुकेश और्केष्ट्रा बजाता है जबकि निर्मल और अंजलि दोनों गाने गाते हैं। इसके अलावा गुरु सतीश, महेश, विजय बिष्ट, प्रवीण नेगी, सुधीर ग्वाड़ी, आदित्य पंत, पनी राम, 7 वर्षीय बालिका चांदनी, निर्मला, प्रेम नैथानी, सुरेन्द्र लाल (कमांडर), सौरभ कपरवाण, धन सिंह कोरंगा आदि सभी कलाकारों को ईश्वर ने जन्म से कुछ न कुछ कमी की है।

कार्यक्रम का मुख्य आकर्षण रहे सुन्दर लाल उर्फ़ कमांडर जिनके दोनों पैर नहीं होने के बावजूद भी वह बहुत शानदार डांस करते हैं। उन्होंने एक मशहूर गीत “गढ़वाल मा बाग लग्युं, बाग कि च डैरा, मेरा फ्वां बाग़ रे..” पर शानदार नृत्य कर दर्शकों को झकजोर दिया। कमांडर डांस के अलावा कॉमेडी भी अच्छी करते हैं। दोनों पैरों से विकलांग कमांडर ने लव मैरिज की है और उनके 2 बहुत प्यारे बच्चे भी हैं। उनकी पत्नी और दोनों बच्चे भी उनके साथ मंच पर उपस्थित थे।

इसके अलावा उत्तराखंड की स्वर कोकिला कल्पना चौहान, जिनके बारे शायद सभी लोगों को मालूम होगा कि कुछ वर्षो पहले एक सड़क दुर्घटना में वह अपने दोनों पैर खो चुकी थी। परन्तु आज अपनी हिम्मत और हौसले के दम पर वह कृतिम पैरों के सहारे बड़े-बड़े मंचों पर उसी तरह अपनी मधुर आवाज में शानदार प्रस्तुतियां दे रही हैं। इस प्रतिभाओं की हौसला अफजाई के लिए उन्होंने भी अपनी कुछ पुराने सुपरहिट लोकगीत प्रस्तुत किये।

इन प्रतिभाओं के हुनर और हौसले के देखकर सभागार में उपस्थित उत्तराखंड समाज के लोगों ने महसूस किया कि अगर किसी दिव्यांग जन को सहारा मिले, और उसके हुनर को तराशने वाला मिले वह भी अपनी पहचान बना सकते हैं। संगीत निर्देशक राजेंद्र चौहान और स्वर कोकिला कल्पना चौहान की इस नेक पहल का सभी ने सराहना करते हुए आभार व्यक्त किया। साथ ही राजधानी दिल्ली में इस तरह के कार्यक्रम के सफल आयोजन के लिए समाज सेवी संजय शर्मा दरामोड़ा, श्रीमती प्रतिभा शर्मा एवं उनकी टीम नई पहल नई सोच’ के सदस्यों संजय चौहान,  मंजू भदोला,  बबीता नेगी,  प्रभा बिष्ट आदि का आभार प्रकट किया।

कार्यक्रम में दिल्ली/एनसीआर में रह रहे समाज सेवियों के अलावा मीडिया जगत के तमाम लोग मौजूद रहे।

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