उत्तराखंड की दिव्यांग प्रतिभाओं के हुनर और हौसले को लोगों ने किया सलाम

नोएडा: नोएडा लोकमंच द्वारा एमिटी यूनिवर्सिटी नोएडा के सभागार, में रविवार (11 अगस्त) को ‘जीना इसी का नाम है’ कार्यक्रम आयोजित किया गया। यूँ तो अक्सर दिल्ली/एनसीआर में उत्तराखंड के सांस्कृतिक कार्यक्रम होते रहे हैं। परन्तु अपनी तरह के इस यूनिक सांस्कृतिक कार्यक्रम में उत्तराखंड की विलक्ष्ण प्रतिभाओं के धनी दिव्यांग कलाकारों ने अपने हुनर और हौसले से सभागार में उपस्थित जनसमूह को सोचने पर मजबूर कर दिया कि वास्तव में जीना इसी का नाम है।

उत्तराखंड के दूरदराज गांवों में गुमनामी के अंधेरों में जी रहे विलक्ष्ण प्रतिभा के धनी इन दिव्यांगों की कला को उत्तराखंड के मशहूर संगीत निर्देशक राजेंद्र चौहान ने पहचाना ही नहीं बल्कि इनकी कला को तराश कर इन्हें इतने बड़े मंच पर अपनी प्रतिभा दिखाने का अवसर प्रदान भी किया। स्वर्गीय राजकपूर पर फिल्माया यह गीत किसी की मुस्कुराहटों पे हो निसार, किसी का दर्द ‍मिल सके तो ले उधार, किसी के वास्ते हो तेरे दिल में प्यार… जीना इसी का नाम है, संगीतकार राजेंद्र चौहान की इस पहल पर फिट बैठता है।jeena-isi-ka-naam hai

दर्शकों से खचाखच भरे एमिटी यूनिवर्सिटी के सभागार में मंच संचालक नवीन पांडेय ने उत्तराखंड से आई करीब 25 दिव्यांग प्रतिभाओं का परिचय कराते हुए बताया कि किस तरह दैवीय कष्ट मिलने के बावजूद भी ये दिव्यांग आज अपने हुनर और हैसलों के दम पर आपके सामने हैं। दिव्यांग प्रतिभाओं में कुटुलमंडी गाँव, गूमखाल, पौड़ी गढ़वाल के निर्मल कुमार, मुकेश कुमार और अंजलि कुमारी, तीनों भाई बहन जन्म से नेत्रहीन हैं। जो अभी तक सड़कों पर रोड़ी तोड़कर गरीबी और गुमनामी की जिंदगी जी रहे थे। इनमे से एक भाई मुकेश और्केष्ट्रा बजाता है जबकि निर्मल और अंजलि दोनों गाने गाते हैं। कार्यक्रम में निर्मल कुमार ने गढ़रत्न नरेन्द्र सिंह नेगी का सुंदर गीत रखड़ी कू त्यौहार च आज सुनाया। वहीँ अंजलि ने धरती य उत्तराखंड की माटी या मेरा पहाड़ की कतगा रौन्त्याली लगदा खुबसूरत गीत सुनाया। आप इनके गीत नीचे दिए ह गए वीडियो लिंक पर भी सुन सकते हैं।

इसके अलावा एक कलाकार सतपुली, पौड़ी गढ़वाल के सुधीर ग्वाड़ी थे जिनके दोनों हाथ एक 11 हजार वोल्ट की हाईटेंशन लाइन की चपेट में आने से कट गए थे। सुधीर अपना सारा काम पैरों से करते हैं। यहाँ तक कि वह मोबाइल में फेसबुक, व्हाट्सएप और चिट्ठी भी पैर से ही लिखते हैं। सुधीर ग्वाड़ी ने स्वर्गीय चन्द्र सिंह राही का बहुत पुराना लोक गीत ‘जरा ठण्डु चला द्याय, जरा मठू चलादी, मेरी चदरी छुटगि पिछ्नै जरा मठू चलादी’ सुनाया।

वहीँ अल्मोड़ा के एक गाँव से आये पनी राम जो जन्म से नेत्रहीन हैं। उन्होंने स्वर्गीय गोपालबाबू गोस्वामी का एक बहुत प्रसिद्ध लोकगीत ‘कैला बजा मुरुरली..’ सुनाया । बागेश्वर, कुमायूं की एक 7 साल की दिव्यांग (नेत्रहीन) बच्ची चांदनी ने एक देशभक्ति गीत मेरा कर्मा तू.. मेरा धर्मा तू सुनाकर उपस्थित दर्शकों को मन्त्रमुग्ध कर दिया।

कार्यक्रम का मुख्य आकर्षण रहे सुन्दर लाल उर्फ़ कमांडर जिनके दोनों पैर नहीं होने के बावजूद भी वह बहुत शानदार डांस करते हैं। उन्होंने एक मशहूर गीत “गढ़वाल मा बाग लग्युं, बाग कि च डैरा, मेरा फ्वां बाग़ रे..” पर शानदार नृत्य कर दर्शकों को झकजोर दिया। कमांडर नाम का यह शख्स डांस के अलावा कॉमेडी भी अच्छी करते हैं। दोनों पैरों से विकलांग कमांडर ने लव मैरिज की है और उनके 2 बच्चे भी है। उनकी पत्नी और दोनों बच्चे भी उनके साथ मंच पर उपस्थित थे। और अत्यंत खुश लग रहे थे, उन्हें देख दर्शक दीर्घा में बैठे लोगों के मुहं से निकल रहा था कि सच में जीना इसी का नाम है।

नैनीताल जनपद के धन सिंह कोरंगा भीदोनों पैरो से विकलांग हैं जिन्होंने देशभक्ति गीता सुनाया। एक अन्य कलाकार सुनील बगोली जो जन्म से नेत्रहीन हैं ने नरेन्द्र सिंह नेगी का खुबसूरत गीत “औये लछि घौर., रुमुक पोड़ी गे” सुनाया

इसके अलावा कार्यक्रम की शान रही उत्तराखंड की स्वर कोकिला कल्पना चौहान, जिनके बारे शायद सभी लोगों को मालूम होगा कि कुछ वर्षो पहले एक सड़क दुर्घटना में वह अपने दोनों पैर खो चुकी थी। परन्तु आज अपनी हिम्मत और हौसले के दम पर वह कृतिम पैरों के सहारे बड़े-बड़े मंचों पर उसी तरह अपनी मधुर आवाज में शानदार प्रस्तुतियां दे रही हैं। अंत में नोएडा लोकमंच द्वारा उत्तराखंड की दिव्यांग प्रतिभाओं के लिए आयोजित एक यूनिक कल्चरल प्रोग्राम को देखने आये सभी दर्शकों ने संगीत निर्देशक राजेंद्र चौहान और कल्पना चौहान की सराहना करते हुए आभार व्यक्त किया।

कार्यक्रम में गौतमबुधनगर के सांसद डॉ. महेश शर्मा, नोएडा लोक मंच के अध्यक्ष प्रभात कुमार, महासचिव महेश सक्सेना, बिमला बाथम, सुशील त्रिपाठी, इंदिरा चौधरी, उत्तराखंड सांस्कृतिक समिति ग्रेटर नोएडा के अध्यक्ष जेपीएस रावत सहित करीब 500 से ज्यादा लोग मौजूद रहे।

जो लोग कल इस कार्यक्रम को नहीं देख पाए उनको बताना चाहूँगा कि आज यानी सोमवार 12 अगस्त को LTG ऑडिटोरियम, मंडी हाउस, नई दिल्ली में शाम 4 बजे से इन्हीं दिव्यांग प्रतिभाओं के हुनर और हौसले से रूबरू हो सकते हैं. इस कार्यक्रम को दिल्ली के समाजसेवी एवं दिल्ली हाईकोर्ट के अधिवक्ता संजय शर्मा दरमोड़ा की टीम नई पहल, नई सोच के द्वारा आयोजित किया जा रहा है।